Hazari Prasad Dwivedi Jivan Parichay | हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जीवन परिचय | Biography of Hazari Prasad Dwivedi in Hindi
पूरा नाम | डॉक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी जी |
जन्म | 19 अगस्त 1907 . |
पिताजी का नाम | श्री अनमोल द्विवेदी जी |
माता जी का नाम | श्रीमती ज्योतिषमति जी |
जन्म स्थान | श्रीमती ज्योतिषमति जी |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश के बलिया |
रचनाएं | 19 मई 1979 दिल्ली |
बचपन का नाम | वैद्यनाथ द्विवेदी |
जन्म -आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म 19 अगस्त 1907 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के आरतदुबे का छपरा ओझ बलिया नामक गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता जी का नाम श्रीमती जोशी मती था।
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का परिवार ज्योतिषी विद्या के लिए बहुत ही प्रसिद्ध थे। इनके पिता पंडित थे द्विवेदी जी ने बचपन से ही कविता लिखने की कला प्रारंभ कर दी थी। इन्होंने सिद्ध साहित्य साहित्य एवं अपभ्रंश साहित्य के ग्रंथों की रचना करके उच्च स्तर पर महान सेवा की।
Hazari Prasad Dwivedi Jivan Parichay 2022
शिक्षा – हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई। वहीं से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की इन्होंने संस्कृत भाषा से अपनी शिक्षा शुरू की। इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ज्योतिष एवं साहित्य आचार्य की उपाधि प्राप्त की।
कार्यरत – हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने शांतिनिकेतन में संस्कृत एवं हिंदी के अध्यापक के रूप में कार्य किया। सन 1956 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में हिंदी विभाग में अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने कार्य किया।उत्तर प्रदेश ग्रंथ अकैडमी में के अध्यक्ष और हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष भी रहे।
पुरस्कार – सन 1957 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवाओं को ध्यान में रखते हुए पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित किया । इसके साथ ही सूर साहित्य पर इंदौर साहित्य समिति ने इन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया।
रचनाएं- हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने हिंदी साहित्य में आलोचनात्मक निबंध संग्रह उपन्यास ग्रंथावली एवं ऐतिहासिक व्याकरण कुछ निबंध संग्रह जैसी रचनाएं की।
आलोचनात्मक – सूर् साहित्य ,कबीर, मेघदूत एक पुरानी कहानी।
निबंध संग्रह – अशोक के फूल, आलोक पर्व, मध्यकालीन धर्म साधना ।
कुछनिबंध – देवदारू ,बसंत आ गया ,मेरी जन्मभूमि।
उपन्यास – चारुचंद्र लेख , बाणभट्ट की आत्मकथा, अनामदास का पोथा।
अन्य- महापुरुषों का स्मरण, संदेश रासक, सिख गुरु का पुण्यस्मरण।
Hazari Prasad Dwivedi
भाषा शैली – हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की भाषा परिमार्जित खड़ी बोली है । यह सरल स्वाभाविक और शहर के रूप से भाषा का प्रयोग करते थे। निम्नलिखित 2 भाषाओं का अत्यधिक उपयोग किया पहला प्रांजल व्यवहारिक भाषा गीता संस्कृत निष्ठ शास्त्रीय भाषा उन्होंने अपनी रचनाओं में उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों को भी शामिल किया हुआ है।
द्विवेदी जी ने अपनी रचनाओं में हर प्रकार की शैलियों को प्रयोग में लिया है। उन्होंने गवेश्नात्मक शैली, वर्णनात्मक शैली व्यंगात्मक शैली व्यास शैली का मुख्य रूप से उपयोग किया है।
निधन- 19 मई 1979 भारत के दिल्ली शहर में ब्रेन ट्यूमर से द्विवेदी जी का निधन हो गया ।
हिंदी साहित्य में स्थान- हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की रचनाएं हिंदी साहित्य की शाश्वत निधि हैं इनकी आलोचनाएं निबंध इनके विचार इन की कथाओं का हिंदी साहित्य में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है यह भी एक महान साहित्यकार निबंध कारों में उनका सबसे ऊंचा और विशिष्ट स्थान है।