अनुशासन पर निबंध ( Essay on Discipline in Hindi for Class 5th to 12th Students /Anushashan ka Mahatva essay 2021 in Hindi) – आज हम अनुशासन पर निबंध लिखेंगे। बोर्ड की परीक्षाओं में अनुशासन के महत्व पर निबंध पुछा जाता है। अनुशासन क्यो जरूरी होता है? अनुशासन के क्या महत्व है? एवं शिक्षा एवं अनुशासन में क्या अंतर है?
“रूपरेखा”
- प्रस्तावना
- अनुशासन से आशय
- प्रकार अनुशासन के
- अनुशासन के महत्व
अनुशासन पर निबंध/अनुशासन का महत्व पर निबंध
प्रस्तावना – अनुशासन दो भागो से मिलकर बना है पहला अनु जिसका अर्थ पालन करना होता है और दूसरा शासन जिसका अर्थ नियम इस तरह अनुशासन मतबल नियमों का पालन करना होता है।
अनुशासन का अर्थ होता है। किसी भी कार्य को करते समय नियम एवं सभ्यता पूर्वक करना। या जीवन में नियमों से बंधा होना माना जाता है। अनुशासन जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू होता है। जिसमें मनुष्य एक आदर्श रूप में आगे बढता जाता है। एवं जीवन के प्रत्येक पढाव में सफल भी होता है।
अनुशासन का आश्य – अनुशासन मानव के जीवन की प्रगति एवं तरक्की का मुलमंत्र है। जो व्यक्ति अनुशासन में रहता है वह कंही धोखा नही खा सकता। अनुशासन से व्यक्ति का चरित्र का पता चलता है।अनुशासन अर्थात् शासन के अनुरूप यहां शासन या नियम के अनुरूप चलना ही अनुशासन का आश्य होता है। अनुशासन विभिन्न क्षेत्रों में अपने-अपने स्तर पर लागू होता है। एवं अन्य क्षेत्रों में इसकी परिभाषा बदलती रहती है। किसी भी क्षेत्र के मुखिया के द्वारा नियमों में परिवर्तन लाया जा सकता है।
प्रकार अनुशासन के –
अनुशासन को प्राय: दो प्रकार से विभाजिक किया गया है। इसमें पहला अनुशासन आंतरिक होता है। तथा दूसरा अनुशासन बाहरी होता है।
आंतरिक अनुशासन स्वयं के अंदर उपस्थित भावना से होता है। कोई जिस तरीके से किसी अन्य व्यक्तियों के प्रति अपनी भावना व्यक्त करता है। या किसी भी वस्तु के प्रति उसकी दृष्टि होती है। यह उसके आंतरिक रूप का परिचय देती है कि वह उस वस्तु या मनुष्य के लिये कितना अनुशाशित है।
इसके अलावा दूसरा प्रकार बाहरी अनुशासन होता है। इसमें व्यक्ति को बताए गये नियमों से चलना होता है। यदि किसी के द्वारा इन नियमों को तोडा जाता है। तो उसे दण्ड मिलने का भय, रहता है। जिसके कारण वह अनुशासन नियमों के अनुसार बाहरी रूप से करता है।
अनुशासन के महत्व-
अनुशासन आंतरिक हो या बाहरी दोनों के अपने-अपने स्तर पर लाभ देखने को मिलते हैं। आंतरिक अनुशासन में व्यक्ति के अनुशासन में सच्चाई की एक झलक होती है।
परन्तु बाहरी अनुशासन में अनुशासन की भावना में कम सच्चाई देखने को मिलती है। बाहरी अनुशासन में व्यक्ति अनुशासन अपने मन से नहीं करता है। जिससे देश एवं समाज की प्रगति में रूकावट आती है। एवं इससे देश के लोगों की मानहानि भी होती है। जबकि किसी वस्तु को आंतरिक रूप से अनुशासन की भवना से एक सुदंर रूप दिखाई देता है। जिससे देश की समृद्धि में प्रगति होती है। देश का नाम ऊंचा होता है।
उपसंहार- अनुशासित व्यक्ति पर सभी लोगों के द्वारा विश्वास किया जाता है। वह कार्यों को सही रूप से करने में सक्षम होता है। वह कभी अनुशासन हीनता नहीं करता है तो उसको किसी भी कृत्य से भय नहीं उत्पन्न होता है। अनुशासित व्यक्ति समाज में एक उन्नत स्थान प्राप्त करता है।
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